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ऐ खुदा अगर तेरे पेन की स्याही खत्म हो गई है तो मेरे खुन ले लो...
पर यूँ मोहब्बत की कहानियों को तो अधुरी न लिखा करो!
इश्क़ से बचिये जनाब गज़ब का काज़ी है ये...
ख़ुद ही सज़ा देता है जुर्म करवाने के बाद!
महखाने की जरुरत इश्क़ के मरीजों को होगी हमें नहीं...
हमारी तो जान हैं दोस्त और हमें दोस्तों की कमी नहीं!
शहर-भर में फूल की चादर बिछाना है मुझे....
अपने शहज़ादी को काँटों पर चला नहीं सकता हुँ!
तुम 'शराफ़त' को इश्क़ के बाज़ार में क्यूँ ले आये हो दोस्तों...
ये नोटों की दुनिया है यहाँ 'सिक्का' तो बरसों से नहीं चलता!
जख्म खरीद लाया हूँ इश्क के बाजार से...
दिल जिद कर रहा था... मुझे "मोहब्बत" चाहिये!
एक बात पूछें तुमसे... जरा दिल पर हाथ रखकर फरमायें...
जो इश्क़ हमसे सीखा था अब वो किससे करते हो!
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह...
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह...
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो...
क्यों सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह!
तुम्हारी दुनिया से जाने के बाद...
हम तुम्हें हर एक तारे में नज़र आया करेंगे...
तुम हर पल कोई दुआ माँग लेना...
और हम हर पल टूट जाया करेंगे!
मैं तेरी खुशीयाँ बाटने शायद न आ सकुं...
पर ये वादा रहा तुमसे...
जब गम आऐ तो खबर कर देना सारे के सारे ले जाउंगा!
नींद उड़ा कर मेरी वो कहते है सो जाओ कल बात करेंगे...
अब कोई हमें समझाये कि कल तक हम क्या करेंगे!
जब मोहब्बत को लोग खुदा मानते हैं...
फिर क्यों प्यार करने वालों को बुरा मानते हैं...
माना कि ये ज़माना पत्थर दिल है फिर...
क्यों लोग पत्थरों से दुआ माँगते हैं!
पगली तू तो एक ही क़सम से डर गई...
हमें तो तेरी क़सम दे कर... हर किसी ने लूटा!
औरत मोहताज नही किसी गुलाब की...
वो खुद बाग़बान है इस कायनात की!
खुदा ने पूछा... क्या सजा दूँ तेरे प्यार को...
दिल से आवाज़ आई...
मुझसे मोहब्बत हो जाये मेरे यार को!
लिखूँ क्या नज्म कोई तुझ पर गजल का खुद तू लिबास है...
मुकम्मल ईश्क में ड़ूबे हुए शायर का तू लब्ज खास है!
मज़ाक मे माँग बैठा था कोई मुझसे खाक जन्नत की...
माँ के कदमों से ले जाकर मिट्टी पूरी उसकी मन्नत की!
उसके दिल मे थोड़ी सी जगह मांगी थी मुसाफिरो की तरह...
उसने तन्हाइयों का एक शहर मेरे नाम कर दिया!
दुआ करते हैं हम सर झुका के...
आप अपनी मंज़िल को पाए...
अगर आपकी राहों मे कभी अंधेरा आए...
तो रोशनी के लिए खुदा हमको जलाए!
अपनी जिंदगी के अलग ही उसुल है...
यार की खातिर तो कांटे भी कबुल है...
हसकर चल दूँ कांच के टुकड़ों पर भी...
अगर यार कहे ये मेरे बिछाए हुए फूल है!
लगी है मुझको गुलाबों की बद्दुआ शायद...
जिनको तोडा था मैंने कभी तेरे लिए!
एे खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर...
या इश्क़ को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर!
तबाह हो के भी तबाही दिखती नहीं...
ये इश्क़ है हुज़ूर इसकी दवाई बिकती नहीं!
उस हकीम ने तो मेरे इलाज की हद ही पार कर दी...
मेरे महबूब की तस्वीर ताब़ीज में डाल कर दी!
मेरे प्यार की उम्र इतनी सी हो सनम...
तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर ही ख़तम!
मैंने कहा बीमार हूँ मुझे दवा दीजिये...
उसने मुस्कुरा कर कहा हमें चूम लीजिये!
दुनिया के लोग बड़े जालिम हैं...
वे तुम्हारे दुख दर्द रो रोकर पूछेंगे और...
हँस हँस कर सारी दुनिया को बतायेंगें!
जब मन करता है रात मे मीठा खाने का...
हम चुपके से उठकर तेरी तस्वीर चूम लेते है!
तोड़ कर फेंक दी होगी उसने तोहफे मे दी वो चूड़ियाँ...
डर था उसे खनकेगी हाथ मे तो हम याद आयेंगे!
किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर...
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर!
अगर तुम आओ और कभी दस्तक तो दो इस दिल पर...
प्यार उम्मीद से कम हो तो सज़ा-ऐ-मौत दे देना वहीं पर!
तकदीर लिखने वाले एक एहसान लिख दे...
मेरे दोस्त की तकदीर में एक और सपना लिख दे...
ना मिले कभी दर्द उसको तु चाहे तो उसकी किमत में...
मेरी जान लिख दे!
प्यार का पहला इश्क का दूसरा और...
मोहब्बत का तीसरा अक्षर अधूरा होता है...
इसलिए हम आपको चाहते हैं...
क्योंकि चाहत का हर अक्षर पूरा होता है!
इश्क और दोस्ती दो मेरे जहान हैं...
इश्क मेरी रुह तो दोस्ती मेरा ईमान है...
इश्क पर तो फिदा कर दूँ अपनी पुरी जिंदगी...
पर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान है!
दोस्ती हर चहरे की मीठी मुस्कान होती है...
दोस्ती ही सुख दुख की पहचान होती है...
रूठ भी गऐ हम तो दिल पर मत लेना...
क्योकि दोस्ती जरा सी नादान होती है!
बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से...
बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से...
ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से...
आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से!
कभी "आंसू" कभी सजदे कभी हाथों का उठ जाना...
"ख्वाहिशें" अधूरी हों तो रब बहुत याद आता है!
दर्द कागज़ पर मेरा बिकता रहा...
मै बेचेन था रात भर लिखता रहा...
छु रहे थे सब बुलंदियाँ अासमान की...
मै सितारो के बीच चांँद की तरह छिपता रहा...
दरख़्त होता तो कब का टूट गया होता...
मै था नाज़ुक डाली जो सब के अागे झुकता रहा!
रब ना करे इश्क़ की कमी किसी को सताए...
प्यार करो उसी से जो तुम्हे दिल की बात बताये...
प्यार करने से पहले ये कसम जरूर लेना...
कि हे खुदा... आखरी साँस तक हम इस प्यार को निभाए!
शायरियों से बुरा लगे तो बता देना दोस्तों...
दर्द बाँटने के लिए लिखता हूँ...
दर्द देने के लिए नहीं!
जिस चांद के हों हज़ारों चाहने वाले...
वो क्या समझेगा एक सितारे की कीमत!
ज्यादा खुश रहना भी पाप है इस जग में...
लोग अक्सर खिले हुए फूल को तोड़ देते है!
ऐ सागर... इतना नमक तुझ में किसने सँजोया होगा...
कोई तो है जो साहिल पर बैठकर सदियों तक रोया होगा!
फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी और पत्थर दिल भी...
मासूमियत खो दी है मैंने लोगों पर विश्वास करते-करते!
आज़ कहीं खो गए हैं शायर सारे...
लगता है शहर में कोई नई ग़ज़ल आई है!
मेरी इबादतों को ऐसे कर कबूल ए खुदा...
कि सजदे में मैं झुकूं तो मुझसे जुड़े...
हर रिश्ते की जिंदगी संवर जाए!
एक दिन जब हुआ प्यार का अहसास उन्हें...
वो सारा दिन आकर हमारे पास रोते रहे...
और हम भी इतने खुद गर्ज़ निकले यारों कि...
आँखे बंद कर के कफ़न में सोते रहे!
बार बार जाती है नजर क्यों तुम पर मेरी कलम की...
शायद अधूरी मुहब्बत हो तुम मेरे पिछले जनम की!
कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का...
लोग बड़े शौक से पढ़ते हैं कहानियाँ बेवफाओं की!
तोड़ कर फेंक दी होगी उसने मेरे तोहफे में दी वो चूड़ियाँ...
डर था उसे खनकेगी हाथ में तो हम याद आयेंगे!