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कौन कहता है क़ि प्यार में चाँद तारे तोड़ लाना ज़रूरी है...
दिल को छू जाए प्यार से वही दो लफ्ज़ ही काफ़ी है!
फिर आया हूँ दर्द दिल और मोहब्बत की बात करने...
मैं दीवाना नहीं बस दीवानों की जुबां लिखता हूँ!
मोहब्बत के लिए खूबसूरत होने की कैसी शर्त...
इश्क हो जाए तो सब कुछ खूबसूरत लगने लगता है!
औरत मोहताज नही किसी गुलाब की...
वो खुद बाग़बान है इस कायनात की!
खूबसूरती का तो हर कोई आशिक होता है...
किसी को खूबसूरत बनाकर इश्क किया जाय तो क्या बात है!
बख्श देना इश्क में हमारी गुस्ताखियां सनम...
दिल ही काबू में नहीं है तो हम क्या करे!
प्यार और दुआओं का कोई रंग नहीं होता...
लेकिन जब ये रंग लाती हैं तो ज़िंदगी रंगों से भर जाती है!
एक खूबसूरत सा रिस्ता यूँ खत्म हो गया...
वो दोस्ती निभाते रहे हमे इश्क हो गया!
दुनिया में मोहब्बत इसलिये बरकरार है...
क्योंकि...
इकतरफ़ा प्यार आज भी वफ़ादार है!
दिल को क्या समझायें इश्क़ की बारीक़ियाँ...
वो तो बस मशग़ूल है हमसे मोहब्बत करने में!
इँतजार करते करते एक और रात बीत जायेगी...
पता है तुम नहीं आओगे और ये तनहाई जीत जायेगी!
याददाश्त का कमज़ोर होना बुरी बात नहीं है...
बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग जिन्हे हर बात याद रहती!
यही रिश्ता हमें जोड़े हुए है कि...
दोनों का कोई अपना नहीं है!
उन्हे दिन रात याद किया करते थे अब...
उन राहों से गुज़रा नहीं जाता...
जहाँ बैठ कर उनका इंतेज़ार किया करते थे!
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर...
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता!
चाँद से फूल से या मेरी जुबां से सुनिए...
हर तरफ आप का किस्सा है जहाँ कहीं से सुनिए!
पसीना उम्र भर का उसकी मुस्कुराहट में सूख जाएगा...
हमसफ़र क्या होता है ये उसे बुढ़ापे में समझ आएगा!
यक़ीनन... धंधे में अब बरक़त होगी...
मैं नमक बेचने लगा हूँ... ज़ख्मों के शहर में!
गिरी मिली एक बोतल शराब की तो ऐसा लगा मुझे...
जैसे बिखरा पड़ा था एक रात का सुकून किसी का!
ऐ खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म हो गई है...
तो मेरे खुन ले लो मगर...
यूँ मोहब्बत की कहानियों को तो अधुरी न लिखा करो!
जाम तो यू ही बदनाम है यारों कभी इश्क करके देखो...
या तो पीना भूल जाओगे या फिर पी-पी के जीना भूल जाओगे!
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था...
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला!
दिवानगी ऐ इश्क़ पे इल्ज़ाम कुछ भी हो...
दिल दे दिया है तुमको अब अंजाम कुछ भी हो!
कभी ज़्यादा कभी थोड़े कभी कुछ कम नज़र आए...
क़सम ले लो...
हमें हर वक्त तुम ही तुम नज़र आए!
बार बार जाती है नजर क्यों तुम पर मेरी कलम की...
शायद अधूरी मुहब्बत हो तुम मेरे पिछले जनम की!
तो क्या हुआ जो दोस्त नहीं मिलते हमसे...
मिला तो रब भी नहीं पर इबादत कहां रुकी हमसे!
परख तो हर कोई लेता है हर किसी को लेकिन...
कुछ सच बोलकर रिश्ते ख़त्म कर लेते हैं...
तो कुछ चुप रहकर रिश्ता निभा लेते हैं!
चिरागो से न पुछो कि तेल कितना बाकी है...
ना ही साँसो से पूछॊ कि बाक़ि खेल कितना है!
पुछो सिर्फ़ कफ़न मे सोये हुये इन्सानो से...
असल जिन्दगी मे हो तो कफ़न में चैन कितना है!
प्यार करने का हुनर हमें आता नहीं...
इसीलिए हम प्यार की बाज़ी हार गए...
हमारी ज़िन्दगी से उन्हें बहुत प्यार था...
शायद इसीलिए वो हमें ज़िंदा ही मार गए!
तुम्हारी दिल्लगी देखो हमारे दिल पर भारी है...
तुम तो चल दिए हंसकर यहाँ बरसात जारी है!
मोहब्बत की आज यूँ बेबसी देखी...
उसने तस्वीर तो जलाई मगर राख नहीं फेंकी!
नींद आँखो से निकलकर रात भर सोती रही...
तेरा चेहरा सामने था गुफ्तगू होती रही!
अभी दर्द नहीं हुआ है उनको...
अभी वो इश्क नहीं समझेंगे!
जज्बात लिखे तो मालूम हुआ...
पढ़े लिखे लोग भी पढ़ना नहीं जानते!
इबादत में बहुत ताकत है जनाब...
फकत धागा भी ताबीज बन जाता है!
मेरी मोहब्बत मेरी ज़िंदगी मेरी आशिक़ी...
लफ्ज़ देखो तो हज़ार है अगर समेट दूँ तो सिर्फ तुम हो!
वो मुझको डसते तो हैं पर जहर नहीं छोड़ते...
लिहाज रखते हैं कुछ मेरी आस्तीनों में पलने का!
यूँ तो हर बात सहने का जिगर है...
बस एक तेरा नाम है...
जो मुझे कमजोर कर देता है!
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है...
जरा उनसे पूछ कर बताओ...
मुझे खो कर आखिर उसने ऐसा क्या पा लिया!
काश कोई तो पैमाना होता मोहब्बत को नापने का...
तो हम भी शान से आते तेरे सामने सबूत के साथ!
अजीब शर्त रख दी मेरी जान ने मुझसे मिलने की कहा कि...
सूखे पत्तों पर चल कर आना और आवाज़ भी न हो!
कितना अजीब शौक पाला है...
दर्द भरा एहसास लिखने का...
लिखूं तो लोग परेशान और...
ना लिखूं तो दिल परेशान!
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम...
जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग!
एक कत़रा ही सही आँख में पानी तो रहे...
अए मोहब्बत तेरे होने की निशानी तो रहे...
बस यही सोच के यादों को तेरी दे दी पनाह...
इस नये घर में कोई चीज पुरानी तो रहे!
गुज़रे इश्क़ की गलियों से और समझदार हो गए...
कुछ ग़ालिब बने यहाँ, तो कुछ गुलज़ार हो गए!
सरे राह जो उनसे नज़र मिली तो...
नक्श दिल के उभर गए...
हम नज़र मिला कर झिझक गए...
वो नज़र झुका कर चले गए!
ख़ुदकुशी जुर्म भी है, सब्र की तौहीन भी है...
इसलिए इश्क़ में मर-मर के जिया जाता है!
डालना अपने हाथों से कफन मेरी लाश पर...
कि तेरे दिए जखमों के तोहफे कोई और ना देख ले!
कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है...
कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है...
पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से...
तो प्यार जीने की वजह बन जाता है!
मुनासिब समझो तो "मौत" ही दे दो... ए इश्क...
दिल दिया है,इतना दाम तो बनता है मेरा!
एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये...
पर ये कम्ब्खत दिल कभी उनसे रूठा ही नहीं!
तू नाराज न रहा कर तुझे वास्ता है खुदा का…
एक तेरा ही चेहरा खुश देख कर तो मैं अपना गम भुलाता हूँ!
मैंने दरवाज़े पे ताला भी लगा कर देखा है...
गम फिर भी समझ जाते है की मैं घर में हूँ!
एे खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर...
या इश्क़ को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर!
वो छोड़ के गए हमें...
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी...
खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं...
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी!
तुम्ही ने लगा दिया इल्जाम ए बेवफाई मुझ पर...
मेरे पास तो वफ़ा के गवाह भी सिर्फ तुम ही थे!
तमन्ना है मेरे मन की, हर पल साथ तुम्हारा हो...
जितनी भी सांसें चलें मेरी हर सांस पर नाम तुम्हारा हो!
बढ़ जाती है मेरी मौत की तारीख खुद ब खुद आगे...
जब भी कोई तेरी सलामती की खबर ले आता है!
साँसों के सिलसिले को न दो ज़िंदगी का नाम...
जीने के बावजूद भी मर जाते हैं कुछ लोग!
तुम समझते हो कि जीने की तलब है मुझको...
मैं तो इस आस में ज़िंदा हूँ कि मरना कब है!
सब्र रख 'ऐ मेरे दिल' जिसने 'दिल तोड़ा' है...
वो खुद भी 'धोखा खायेगा' बस जरा 'इंतज़ार' कर ले!
छोड़ दिया है मैंने पलटना डायरी के उन पन्नों को...
जिस पर कभी जिक्र तेरा हुआ करता था!
मुफ़्त में नहीं सीखा उदासी में मुस्कुराने का हुनर...
बदले में ज़िन्दगी की हर ख़ुशी तबाह की है हमने!
मैंने तो सिर्फ "मोहब्बत" की थी...
वो भी कर लेते तो शायद "इश्क़" कहलाता!
ये तो अच्छा है कि आंसू "बेरंग" होते हैं...
वरना भीगे हुए 'तकिये' ना जाने कितने...
दिलों के राज, अरमान और दर्द खोल देता है!
शायरी हमारा शौक नहीं है ज़नाब...
ये तो मोहब्बत में मिली सजाएं हैं!
शिकायत करूँ तो किस से करूँ ये तो क़िस्मत की बात है...
तेरी सोच में भी मैं नहीं मुझे तेरा हर एक लफ्ज़ याद है!
मंज़िले हमारे करीब से गुज़रती गयी...
और हम औरों को रास्ता दिखाने में ही रह गये!
जब भी तन्हाई से घबरा के हम सिमट जाते हैं...
हम तो तेरी यादों के दामन से लिपट जाते हैं!
जिस “चाँद” के हजारों हो चाहने वाले...
वो क्या समझेगा एक तारे की कमी को!
वो कहते है कि तुम्हारा लिखा मुझे समझ नहीं आता...
मैंने कहा जरा दिल से समझो...
हर चीज ये दिमाग समझ नहीं पाता!
रब ना करे इश्क़ की कमी किसी को सताए...
प्यार करो उसी से जो तुम्हे दिल की बात बताये...
प्यार करने से पहले ये कसम जरूर लेना...
कि हे खुदा आखरी साँस तक हम इस प्यार को निभाए!
आज शिकायतें चीख रही है मेरी…
तुम कान बंद कर लो कई इल्जाम तुम्हारे सर भी है!
हम तो सोचते थे कि लफ्ज़ ही चोट करते हैं...
मगर कुछ खामोशियों के ज़ख्म तो और भी गहरे निकले!
बहुत ही नायाब रिश्ता है उसका और मेरा…
न तो मैं शामिल उसके अपनों में हूँ और न गैरों में!
सब कुछ पा लिया तुमसे इश्क़ करके…
बस कुछ रह गया तो वो “तुम” ही थे!
जो कभी उम्मीद ना किया था तुमसे बस...
उसी ना-उम्मीद पर खरे उतरे हो आज तुम!
उसने लिखा मुझे भूल जाओ...
हमने भी जवाब दिया कौन हो तुम!
जिसे डर ही नहीं था, मुझे खोने का…
“वो” क्या अफसोस करता होगा मेरे ना होने का!
ख्वाब उचकते हैं पलकों के भीतर से उठ-उठ कर...
थक के सो जाते हैं पर अब आंसु बह नही पाते!
बदल दिये हैं हमनें ग़मज़दा होने के तरीक़े...
अब अश्क़ बहाने के बजाय बस हलके से मुस्कुरा देते हैं हम!
लोगों में और हम में बस इतना फर्क है कि...
लोग हमारे दिल को दर्द देते है और हम दर्द देने वाले को दिल देते हैं!
कुछ दूर हमारे साथ चलो, हम दिल की कहानी कह देंगे...
समझे ना जिसे तुम आखो से वो बात जुबानी कह देंगे!
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है...
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है!
हवा के झोकों से डरता नही मैं...
किसी से इश्क भी करता नहीं मैं!
जिंदा हूँ तस्वीरों में सुनो तुम...
मुहब्बत हूँ कभी मरता नहीं मैं!
टुटा कुछ लग रहा है मेरे अंदर...
वफा की बात अब करता नहीं मैं!
खिलौना है तुम्हारे वास्ते दिल पर...
जज्बातों से कभी खेलता नहीं मैं!
फिदा है झूठ पर देखो सभी अब...
सच्ची बाते कभी करता नहीं मैं!
कौन है जिसे कमी नहीं है...
आसमां के पास भी जमीन नहीं है!
तुम्हारा नाम किसी अजनबी के लब पर था...
ज़रा सी बात थी दिल को मगर लगी बहुत!
नजर से दूर रहकर भी किसी की सोच में रहना...
किसी के पास रहने का तरीका हो तो ऐसा हो!
उनकी फ़ितरत है वो दर्द देने की रस्म अदा कर रहे हैं...
हम भी उसूलों के पक्के हैं दर्द सहकर भी वफ़ा कर रहे हैं!
किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम...
बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम...
किसी ने विश्वास तोडा तो किसी ने दिल...
और लोगो को लगा की बदल गए हम!
वो हाल भी ना पूछ सके हमे बेहाल देख कर...
हम हाल भी ना बता सके... उसे खुशहाल देख कर!
औरों के लिए जीते थे तो किसी को शिकायत न थी...
थोडा सा अपने लिए क्या सोच लिया जमाने के लिए खुदगर्ज हो गए!
अपनी तबीयत का भी अलग ही मिजाज है...
लोग मौत से डरते है हम तेरी नाराजगी से!
इस अजनबी दुनिया मैं किसी से दिल न लगाना...
सुना है बिन बुलाये आने वाले बिन बताये ही चले जाते हैं!
जो इश्क़ तक़लीफ़ न दे वो इश्क़ कैसा...
और...
जो इश्क़ में तक़लीफ़ न सहे वो आशिक़ कैसा!
तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समझा...
वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नहीं!
ना पूछो हमारा रंग कितनी मौज में हैं...
दुनिया में मोहब्बतें फैलाकर एक मोहब्बत की खोज में हैं!
निभाना ना हो तो रिश्ते बनाओ ही मत...
आपके टाइमपास के चक्कर में कोई टूट जाता है!
जब बिखरेगा तेरी गालों पे तेरी आँखों का पानी...
तब तुझे एहसास होगा की मोहब्बत किसे कहते हैं!
अगर हो इजाज़त तो तुमसे एक बात पूछ लूँ...
वो जो इश्क हमसे सीखा था अब किससे करते हो?
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों...
इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो!