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कोई नहीं आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा...
एक मौत ही है जिसका मैं वादा नहीं करता!
कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता...
गंभीर है किस्सा सुनाया नहीं जाता...
एक बार जी भर के देख लो इस चहेरे को...
क्योंकि बार-बार कफ़न उठाया नहीं जाता!
फिर से खुल चुके घावों को भरने में लगा है...
ये दिल ज़ख़्मों की मरम्मत करने में लगा है!
रोज़ एक नई 'तकलीफ' रोज़ एक नया 'गम'...
ना जाने कब 'ऐलान' होगा कि 'मर' गए 'हम'!
मुझे बदनाम करने का बहाना खोजता है जमाना...
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो!
यह माना की तुम्हारी नज़र में कुछ भी नहीं हैं हम...
अरे ज़रा जाकर उनसे पूछो जिन्हे हासिल नहीं हैं हम!
अगर 'कसम' "सच" होता...
तो सबसे पहले "खुदा" मरता!
तन्हा मौसम है और उदास रात है...
वो मिल के बिछड़ गये ये कैसी मुलाक़ात है...
दिल धड़क तो रहा है मगर आवाज़ नहीं है...
वो धड़कन भी साथ ले गये कितनी अजीब बात है!
मेरे रूह का रेशा-रेशा रंग गया है तुम्हारे इश्क में...
कुछ इस तरह से हार कर तुम्हें जीता है मेरा इश्क!
इतना "आसान" नहीं है "शायरी"..."लिखना"...
सब कुछ "लिखना" है वो भी "सबकुछ"..."छुपाकर"...
काश तू मेरी आँखों का आँसू बन जाए...
मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के डर से!
हमने भी किसी से प्यार किया था...
हाथो मे फूल लेकर इंतेज़ार किया था...
भूल उनकी नहीं भूल तो हमारी थी क्योंकि...
उन्होंने नहीं! हमने उनसे प्यार किया था!
कर दो तब्दील अदालतों को मयखानों में...
सुना है नशे में कोई झूठ नहीं बोलता!
समझ न सके उन्हें हम...
क्योंकि हम "प्यार के नशे में चूर" थे...
अब समझ में आया जिसपे "हम जान लुटाते" थे...
वो "दिल तोड़ने के लिए मशहूर" थे!
उसको चाहते रहेंगे यूँ उम्र गुजर जायेगी...
मौत आएगी और जिंदगी ले जायेगी...
मेरे मरने पे भी मेरे सनम को रोने न देना...
उसको रोते देख मेरी रूह तड़प जायेगी!
काश तू मेरे आँखों का आँसू बन जाए...
मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के दर से...
भर चुके जख्मों को... कुरेद-कुरेद कर... नोच रहा हूँ...
मैं आज फिर तन्हा बैठा... तुमको ही... सोच रहा हूँ!
रात गुमसुम है मगर "चैन खामोश" नहीं...
कैसे कह दूँ आज फिर "होश" नहीं...
ऐसा डूबा तेरी "आखो की गहराई" मैं...
हाथ में जाम है मगर "पीने का होश" नहीं!
आसानी से कोई मिल जाये तो वो 'किस्मत' का साथ है!
”दोस्तों” ...
सब कुछ खो कर भी जो न मिली उसे 'मोहब्बत' कहते हैं!
अपनी शामों में हिस्सा फिर किसी को ना दिया...
इश्क़ तेरे बिना भी मैनें तुझसे ही किया!
जिनके दिल पे लगती है चोट...
वो आँखों से नही रोते...
जो अपनो के ना हुए किसी के नही होते...
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है...
की सपने टूट जाते हैं पर पूरे नही होते!
तेरे साथ जुड़ी है मेरी खुशियां...
बाकी सबके साथ हंसना तो मेरी मजबूरी है!
वो मुझसे पूछती है...
ख्वाब किस किस के देखते हो...
बेखबर जानती ही नहीं...
यादें उसकी सोने कहाँ देती है!
दीवानगी की हद तो देख...
मेरे महबूब नाकाम मोहब्बत के...
क़िस्से भी बड़ी शान से सुनाते हैं हम!
तुझे फुर्सत कहाँ है...
चाहने वालो से "बात करने" की...
और हम हैं जो हर रात...
तेरी "खैरियत की दुआ माँग" के सोते हैं!
मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है...
मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की!
काश ये दिल शीशे का बना होता...
चोट लगती तो बेशक फनाह होता...
पर सुनते जब वो आवाज टूटने की तब...
उन्हें भी अपने गुनाह का एहसास होता!
अब मै ज़िन्दगी को I Love You बोल देता हूँ...
तो शायद ये भी छोड़कर चली जाए!
कोई रास्ता नहीं 'दुआ' के सिवा...
कोई सुनता नहीं 'खुदा' के सिवा...
मैंने भी जिंदगी को करीब से देखा है 'मुश्किल' में...
कोई साथ नहीं देता 'खुदा' के सिवा!
मौत भी हर बार ये कह कर...
मुझे छोड़ जाती है...
की तुझे मारूँगी एक दिन पर...
पहले जीने तो लगो!
जिन पर "लुटा" चुका था मैं "दुनिया की दौलतें"...
उन वारिसों ने मुझको "कफन भी नाप" कर दिया!
जागती आँखों को ख्वाब मिला है...
मुझे मेहबूब लाजवाब मिला है...
ज़िन्दगी की राहें रौशन हो गयी...
मुझे ऐसा एक माहताब मिला है...
मैं हर रोज़ उसे संदेश भेजता हूँ...
उसकी तरफ से ना जवाब मिला है...
आँखों को ख्वाबों की ताबीर मिली...
चाहत का तोहफा नायाब मिला है...
ये मेरी खुशनसीबी नही तो क्या है...
उनसे "पागल" का खिताब मिला है!
अलविदा कह के जब वौ चल दिये...
इन आखो ने सारे "हसीन ख्वाब खो" दिये...
दर्द तब नही हुआ जब वो हमे "छोड़" दिये...
दुख तो तब हुआ जब वो "अलविदा कहते ही खुद" रो दिये!
हमने तो सोचा था...
आंसू की सारी किस्ते चुक गई...
फिर किसी तस्वीर ने...
फिर से तकादा कर दिया!
किसी को ख़ाक...
किसी को ये बरबाद कर छोड़ता है...
इश़्क है जनाब...
कहाँ किसी को सलामत छोड़ता है!
जब भी उनकी गली से गुज़रता हूँ...
मेरी आंखें एक दस्तक दे देती हैं...
दुःख ये नहीं वो दरवाजा बंद कर देते हैं...
खुशी ये है वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं!
तेरा "बरसना" ..."बेशक" अचानक था...
जबकि मेरा... "भीगना" कबसे "तय" था!
रुका नहीं मैं थमा नहीं मैं बस थोड़ा सा अलसाया हूँ...
भाव ना पूछो मुझसे मैं फिर से जीने आया हूँ!
डर लगता है किसी को अपना बनाने में...
डर लगता है कुछ वादे निभाने में...
प्यार तो एक पल में हो जाता है...
बस उमर लग जाती है उसे भूलाने में!
कितनी फिक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की...
जागते रहते है रातभर सितारे मेरे लिए!
लोग हमारी 'मौत की दुआ' मांगते हैं...
हम "बेशर्मी" से जीये जाते हैं...
उनकी तमन्ना है जनाजा देखने की...
हम खड़े होकर मुस्कुराते जाते हैं!
अपनी तो मोहब्बत की यही कहानी है...
टूटी हुई कश्ती ठहरा हुआ पानी है!
एक फूल किताबों में दम तोड़ चुका है...
मगर याद नहीँ आता ये किसकी निशानी है!
बेताब सा रहते हैं तेरी याद में अक्सर...
रात भर नहीं सोते हैं तेरी याद में अक्सर...
जिस्म में दर्द का बहाना बना कर!
हम टूट के रोते हैं तेरी याद में अक्सर!
फूल शबनम में डूब जाते हैं...
जख्म मरहम में डूब जाते हैं!
जब आते है ख़त तेरे...
हम तेरे गम में डूब जाते हैं!
इंतजार भी उसका जिसे आना ही नहीं है...
रात के पास कोई दूसरा बहाना भी नहीं है!
तुम फिर आ गये मेरी शायरी में...
क्या करूँ न मुझसे शायरी दूर जाती है...
न मेरी शायरी से तुम!
हमने तो सोचा था...
आंसू की सारी किस्ते चुक गई!
फिर किसी तस्वीर ने...
फिर से तकादा कर दिया!
एे खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर...
या इश्क़ को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर!
खाली पलके झुका देने से नींद नही आती है जनाब...
सोते वो लोग है जिनके पास किसी की यादें नहीं होती!
मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था...
दिल के टुकड़े हो गये पर लोगो ने कहा वाह क्या निशाना था!
तन्हा कर गया वो शक्स मुझे सिर्फ इतना कह कर...
सुना है मोहब्बत बढ़ती है बिछड़ जाने से!
जो बिन कहें सुनले वो दिल के बेहद करीब होते हैं...
ऐसे नाजुक एहसास बड़े नसीब से नसीब होते हैं!
यूँ ही नहीं आ जाता शायरी का हुनर...
किसी की मोहब्बत में खुद को तबाह करना पड़ता है!
लोग पीठ पीछे बहोत बड़बड़ा रहे हैं...
लगता है हम... सही रास्ते पर जा रहे हैं!
दुनिया में किसी से कभी प्यार मत करना...
अपने अनमोल आँसू इस तरह बेकार मत करना!
कांटे तो फिर भी दामन थाम लेते हैं...
फूलों पर कभी इस तरह तुम ऐतबार मत करना!
एक जनाजा और एक बारात टकरा गए...
उनको देखने वाले भी चकरा गए!
ऊपर से आवाज आई-ये कैसी विदाई है...
महबूब की डोली देखने साजन कि अर्थी भी आई है!